मंगलवार, 25 जून 2024

 

@ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): वर्तमान और भविष्य

Artificial Intelligence (AI): Present and Future

 

AI का अर्थ

AI का मतलब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कंप्यूटर और मशीनों को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि वे इंसानों की तरह सोच सकें, निर्णय ले सकें, और समस्याओं को हल कर सकें। AI के अंतर्गत मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क, और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) जैसी तकनीकों का उपयोग होता है। AI का उद्देश्य मशीनों को मानव जैसी इंटेलिजेंस प्रदान करना है ताकि वे स्वचालित रूप से काम कर सकें, डेटा का विश्लेषण कर सकें, और विभिन्न कार्यों को बेहतर तरीके से अंजाम दे सकें।

AI क्या है ?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक शाखा है कंप्यूटर विज्ञान की, जिसका उद्देश्य ऐसी मशीनें और सॉफ्टवेयर बनाना है जो मानव जैसी बुद्धिमत्ता और व्यवहार प्रदर्शित कर सकें। AI के अंतर्गत मशीनों को इस प्रकार से प्रोग्राम किया जाता है कि वे निर्णय ले सकें, समस्याओं को हल कर सकें, भाषा को समझ सकें, और वातावरण के अनुसार अनुकूलित हो सकें।

AI के प्रमुख क्षेत्र:

  1. मशीन लर्निंग (Machine Learning): इसमें मशीनों को डेटा से सीखने की क्षमता दी जाती है, जिससे वे अनुभव के आधार पर अपने प्रदर्शन को सुधार सकें।
  2. नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP): यह तकनीक मशीनों को मानव भाषा को समझने और प्रसंस्करण करने में सक्षम बनाती है। उदाहरण के लिए, वर्चुअल असिस्टेंट जैसे कि सिरी और गूगल असिस्टेंट।
  3. कंप्यूटर विज़न (Computer Vision): यह क्षेत्र मशीनों को चित्रों और वीडियो को समझने और विश्लेषण करने की क्षमता प्रदान करता है।
  4. रोबोटिक्स (Robotics): इसमें रोबोट्स को इस प्रकार से डिजाइन और प्रोग्राम किया जाता है कि वे स्वचालित रूप से कार्य कर सकें और अपने वातावरण के अनुसार निर्णय ले सकें।
  5. एक्सपर्ट सिस्टम (Expert Systems): ये सिस्टम विशेष ज्ञान और नियमों का उपयोग करके विशेषज्ञता वाले निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।

AI की शुरुआत- 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की शुरुआत 1950 के दशक में हुई। यहां कुछ प्रमुख घटनाएं हैं जो AI के विकास में महत्वपूर्ण रहीं:

  1. एलन ट्यूरिंग और ट्यूरिंग टेस्ट (1950): ब्रिटिश गणितज्ञ एलन ट्यूरिंग ने "Computing Machinery and Intelligence" नामक एक पेपर प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने एक परीक्षण का प्रस्ताव रखा जिसे आज ट्यूरिंग टेस्ट के नाम से जाना जाता है। इस टेस्ट का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि क्या एक मशीन मानव जैसी बुद्धिमत्ता प्रदर्शित कर सकती है।
  2. डार्टमाउथ सम्मेलन (1956): इस सम्मेलन को AI के जन्म के रूप में माना जाता है। सम्मेलन का आयोजन जॉन मैकार्थी, मार्विन मिंस्की, नथानिएल रोचेस्टर और क्लाउड शैनन ने किया था। इसमें AI शब्द का पहली बार प्रयोग हुआ और इसका उद्देश्य यह था कि "मशीनें सोच सकती हैं" इस धारणा को साबित किया जाए।
  3. एलिज़ा (1966): जोसेफ वेइज़ेनबाम द्वारा विकसित यह पहला चैटबॉट था, जो उपयोगकर्ताओं के साथ संवाद करने में सक्षम था।
  4. शुरुआती AI अनुसंधान (1950-1970): इस अवधि में कई महत्वपूर्ण AI प्रोजेक्ट्स और सिस्टम विकसित किए गए, जैसे कि शकी और SHRDLU
  5. एक्सपर्ट सिस्टम्स (1980s): 1980 के दशक में एक्सपर्ट सिस्टम्स का उदय हुआ, जो विशेष ज्ञान और नियमों का उपयोग करके विशेषज्ञता वाले निर्णय लेने में सक्षम होते थे।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का रोजगार

AI का रोजगार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव है और यह कई नए अवसर प्रदान कर रहा है। AI विभिन्न उद्योगों में न केवल प्रक्रियाओं को स्वचालित कर रहा है बल्कि नए रोजगार सृजन के अवसर भी प्रदान कर रहा है। यहाँ कुछ प्रमुख क्षेत्रों का विवरण है जहाँ AI का व्यापक उपयोग हो रहा है:

  1. स्वास्थ्य सेवा (Healthcare):
    • चिकित्सा इमेजिंग और निदान
    • रोग की भविष्यवाणी और रोकथाम
    • वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट्स और चैटबॉट्स
    • दवा की खोज और विकास
  2. वित्तीय सेवाएँ (Financial Services):
    • फ्रॉड डिटेक्शन और प्रिवेंशन
    • ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम्स
    • क्रेडिट स्कोरिंग और रिस्क मैनेजमेंट
    • कस्टमर सर्विस चैटबॉट्स
  3. ग्राहक सेवा (Customer Service):
    • वर्चुअल असिस्टेंट्स और चैटबॉट्स
    • पर्सनलाइज्ड मार्केटिंग और विज्ञापन
    • ग्राहक व्यवहार विश्लेषण
    • सेवा के समय में सुधार
  4. ऑटोमोटिव (Automotive):
    • सेल्फ-ड्राइविंग कार्स
    • प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस
    • मैन्युफैक्चरिंग ऑटोमेशन
    • राइड-शेयरिंग सेवाएं
  5. रिटेल (Retail):
    • इन्वेंटरी मैनेजमेंट
    • पर्सनलाइज्ड शॉपिंग अनुभव
    • सेल्स फोरकास्टिंग
    • ग्राहक व्यवहार विश्लेषण
  6. विनिर्माण (Manufacturing):
    • रोबोटिक्स और ऑटोमेशन
    • प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस
    • क्वालिटी कंट्रोल
    • आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन
  7. शिक्षा (Education):
    • पर्सनलाइज्ड लर्निंग प्लेटफॉर्म्स
    • स्वचालित ग्रेडिंग सिस्टम्स
    • वर्चुअल ट्यूटरिंग
    • छात्र व्यवहार और प्रदर्शन विश्लेषण
  8. मानव संसाधन (Human Resources):
    • टैलेंट एक्विजिशन और रिक्रूटमेंट
    • कर्मचारी प्रदर्शन विश्लेषण
    • प्रशिक्षण और विकास
    • कर्मचारी सगाई चैटबॉट्स
  9. कृषि (Agriculture):
    • स्मार्ट फार्मिंग और प्रिसिशन एग्रीकल्चर
    • फसल की निगरानी और रोग पहचान
    • स्वचालित रोबोटिक हार्वेस्टिंग
    • मिट्टी और जल विश्लेषण

AI का भविष्य-

AI का भविष्य अत्यधिक रोचक और संभावनाओं से भरा हुआ है। इसमें कई प्रमुख दिशाएं हैं जिनमें AI का विकास और प्रभाव देखा जा सकता है:

  1. स्वचालन और उत्पादकता: AI स्वचालन के माध्यम से विभिन्न उद्योगों में उत्पादकता को बढ़ा सकता है। मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स के द्वारा मैन्युफैक्चरिंग, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, और अन्य क्षेत्रों में कार्यों को अधिक कुशलता और तेजी से पूरा किया जा सकता है।
  2. स्वास्थ्य सेवा: AI का उपयोग रोगों की पहचान, निदान, और उपचार में किया जा रहा है। AI आधारित सिस्टम्स रोगियों के डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं और डॉक्टरों को अधिक सटीक उपचार योजनाएं प्रदान कर सकते हैं।
  3. स्मार्ट सिटीज: AI का उपयोग शहरी नियोजन, यातायात प्रबंधन, ऊर्जा प्रबंधन, और सार्वजनिक सुरक्षा में किया जा सकता है। स्मार्ट सिटीज में AI के उपयोग से नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
  4. शिक्षा: AI शिक्षण और शिक्षा में भी बड़ा बदलाव ला सकता है। व्यक्तिगत शिक्षण योजनाएं, स्मार्ट ट्यूटरिंग सिस्टम्स, और शैक्षिक सामग्री का ऑटोमेटेड निर्माण शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
  5. व्यवसाय और वित्त: AI का उपयोग वित्तीय सेवाओं, ग्राहक सेवा, और व्यवसायिक विश्लेषण में तेजी से बढ़ रहा है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों में AI फ्रॉड डिटेक्शन, क्रेडिट रेटिंग, और निवेश रणनीतियों में मदद कर सकता है।
  6. नैतिकता और गोपनीयता: AI के विकास के साथ नैतिक और गोपनीयता के मुद्दे भी उठते हैं। डेटा सुरक्षा, बायस, और AI के निर्णयों की पारदर्शिता महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देना आवश्यक है।
  7. क्रिएटिविटी और मनोरंजन: AI कला, संगीत, और मनोरंजन के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं ला रहा है। AI आधारित उपकरण और सॉफ़्टवेयर नई रचनात्मक अभिव्यक्तियों और इंटरएक्टिव अनुभवों को सक्षम बना रहे हैं।

AI का भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि हम इसे कैसे विकसित और नियोजित करते हैं, और कैसे इसके लाभों को सुरक्षित और नैतिक रूप से समाज में वितरित करते हैं।

मनुष्य और AI का संबंध:

मनुष्य और AI का संबंध

मनुष्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बीच का संबंध आज के युग में अत्यधिक महत्वपूर्ण और जटिल हो गया है। यह संबंध कई पहलुओं में विभाजित किया जा सकता है, जैसे कि तकनीकी, सामाजिक, नैतिक और आर्थिक।

तकनीकी पहलू:

AI का विकास पिछले कुछ दशकों में तेजी से हुआ है। आधुनिक AI प्रणाली विभिन्न क्षेत्रों में मनुष्यों की सहायता कर रही हैं, जैसे कि चिकित्सा, शिक्षा, परिवहन, और मनोरंजन। उदाहरण के लिए, AI आधारित चिकित्सा उपकरण और सॉफ़्टवेयर चिकित्सकों को रोगों का सही निदान करने में मदद करते हैं। शिक्षा में, AI आधारित ट्यूटोरियल सिस्टम छात्रों को उनके व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान करते हैं।

सामाजिक पहलू:

AI ने सामाजिक जीवन को भी प्रभावित किया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में AI एल्गोरिदम उपयोगकर्ताओं की रुचियों के आधार पर कंटेंट की सिफारिश करते हैं, जिससे उनकी ऑनलाइन अनुभव को व्यक्तिगत और संतोषजनक बनाया जाता है। हालाँकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि AI के अत्यधिक उपयोग से गोपनीयता के मुद्दे और डिजिटल डिवाइड जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

नैतिक पहलू:

AI के विकास ने कई नैतिक प्रश्नों को जन्म दिया है। AI प्रणाली के उपयोग में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता सुनिश्चित करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, जब AI का उपयोग न्यायिक प्रणाली में किया जाता है, तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि फैसले बिना किसी पूर्वाग्रह के लिए जाएं। AI के विकास में नैतिकता और मानवाधिकारों का पालन करना आवश्यक है।

आर्थिक पहलू:

AI ने आर्थिक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। व्यापार और उद्योगों में AI का उपयोग उत्पादन की दक्षता बढ़ाने और लागत कम करने के लिए किया जा रहा है। रोबोटिक्स और ऑटोमेशन ने मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस इंडस्ट्री में मानव श्रम की आवश्यकता को कम कर दिया है। हालाँकि, इससे बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है, इसलिए पुनः प्रशिक्षण और कौशल विकास पर ध्यान देना आवश्यक है।

निष्कर्ष:

मनुष्य और AI का संबंध लगातार विकसित हो रहा है और यह महत्वपूर्ण है कि हम इस संबंध को सकारात्मक दिशा में बढ़ाएं। तकनीकी प्रगति के साथ-साथ नैतिकता, सामाजिक प्रभाव और आर्थिक संतुलन को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। सही दिशा-निर्देशों और नीतियों के माध्यम से हम AI के फायदों का लाभ उठाकर समाज को अधिक उन्नत और न्यायपूर्ण बना सकते हैं।

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गुरुवार, 20 जून 2024

 

@ वाचन, लेखन, और मनन कौशल्य: अपनी व्यक्तिगत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण त्रिपटी

(Reading, Writing, and Thinking Skills: An Important Triptych for Your Personal Development)

 

वाचन, लेखन, और मनन कौशल्य व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं जो हमें समय-समय पर सुधारकर आत्म-विश्लेषण के साथ विभिन्न क्षेत्रों में मदद करते हैं। इन तीनों कौशल्यों का संयोजन हमारी सोचने की क्षमता को विकसित करता है, जिससे हम अपनी जिंदगी में निरंतर प्रगति कर सकते हैं।

वाचन कौशल्य (Reading Skills)

वाचन कौशल्य का अर्थ है किसी भी पाठ को प्रभावी और समझदारी से पढ़ने की क्षमता। इसके तीन मुख्य प्रकार हैं:

1.      बोलकर पढ़ना (Oral Reading): जोर से पढ़कर उच्चारण और प्रवाह में सुधार होता है।

2.      मौन वाचन (Silent Reading): ध्यानपूर्वक और एकाग्रता से चुपचाप पढ़ना, जो समझ में सुधार करता है।

3.      व्यापक वाचन (Extensive Reading): विभिन्न विषयों पर बड़ी मात्रा में पढ़ना, जो ज्ञान को बढ़ाता है।

4.      गहन वाचन (Intensive Reading): किसी विशेष विषय पर गहराई से और विस्तारपूर्वक पढ़ना, जो विश्लेषणात्मक क्षमताओं को बढ़ाता है।

लेखन कौशल्य (Writing Skills)

लेखन कौशल्य है विचारों, भावनाओं, और सूचनाओं को स्पष्ट और प्रभावी रूप से व्यक्त करने की क्षमता। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण प्रकार हैं:

1.      रचनात्मक लेखन (Creative Writing): कहानियाँ, कविताएँ, नाटक, और उपन्यास शामिल होते हैं।

2.      तकनीकी लेखन (Technical Writing): मैनुअल, निर्देश, तकनीकी दस्तावेज़, और रिपोर्ट शामिल होते हैं।

3.      शैक्षिक लेखन (Academic Writing): निबंध, शोध पत्र, समीक्षा, और पुस्तक समीक्षाएँ शामिल होती हैं।

4.      व्यावसायिक लेखन (Business Writing): ईमेल, मेमो, रिपोर्ट, और प्रपोजल शामिल होते हैं।

मनन कौशल्य (Critical Thinking Skills)

मनन कौशल्य विचारों के गहराई से विश्लेषण, मूल्यांकन, और निष्कर्ष निकालने की क्षमता है। इसमें निम्नलिखित तत्व शामिल हैं:

1.      विश्लेषण (Analysis): जानकारी के विभिन्न पहलुओं का गहराई से अध्ययन करना।

2.      मूल्यांकन (Evaluation): जानकारी की सत्यता, प्रासंगिकता, और विश्वसनीयता का आकलन करना।

3.      अभिज्ञान (Inference): उपलब्ध जानकारी के आधार पर निष्कर्ष निकालना।

4.      स्व-मूल्यांकन (Self-Regulation): अपनी सोच की प्रक्रिया का मूल्यांकन करना और आवश्यकतानुसार उसमें सुधार करना।

इन तीनों कौशल्यों का संयोजन हमें एक संपूर्ण व्यक्ति बनाता है जो सोचने, विचार करने, और अपने विचारों को साफ़ और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने में सक्षम होता है। यह सभी क्षेत्रों में हमारी समझ, सोचने की क्षमता, और भावनात्मक समझ को विकसित करने में मदद करता है।

बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

 





प्रभु की देन


इस पावन ज्योति में बसे हो प्रभुजी

पर मैं समझ न पाया |

तुम्हारा दर्पण मुझे में प्रभुजी

पर मैं देख न पाया |

आपने प्रदान की है षक्तियाॅं प्रभुजी 

पर मैं सॅंभाल न पाया |

आप ही हो मेरी मॅजिल मेरी प्रभुजी

पर मैं खोज न पाया |

आपने दिखाया है रास्ता प्रभुजी

पर मैं चल न पाया |

तुम ही हो मेरे विधाता प्रभुजी

पर मैं पढ़ न पाया |

सब ओर है गुंज मंगल की प्रभुजी 

पर मैं सुन न पाया |

चला रहे त्रिभूवन आप ही प्रभुजी

पर मैं माया समझ न पाया |

दया करो इस अज्ञानी पर प्रभुजी 

अंत में शरण मैं आप के आया |

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“Young generation and culture portrayed in Hindi street plays”

                                                                   Dr. Jagdish Rajaramsing Pardeshi

 

The word 'cultural' is derived from culture. Culture means the quality prevailing in any society which is related to the daily routine of the people living in that society. From the thinking, eating and drinking of people and the maintenance of traditions, lies in the expression of arts. 'Culture' is taken in a broad sense because it is the medium of expression of the supraphysical and material world of man. By the way, the concept of the physical world is also called civilization. All those material resources are taken under civilization, which have been created by man himself. But culture is formed by the rituals, it is formed by the personality of the individual. Building a culture is not that easy. For this many generations contribute for centuries.

Talking about Indian culture, it is one of the ancient cultures in the world. From the Vedas and Puranas to today's literature, the praises of Indian culture are found. Indian spirituality has influenced the world. Indian culture is still working for world peace. Love, humanity, brotherhood, harmony are the characteristics prevalent in Indian culture. Due to the different geographical composition of India, every province has a culture according to its geographical conditions. For example, there is a difference in the culture of Maharashtra, Gujarat, Rajasthan, Uttar Pradesh, West Bengal, Andhra Pradesh and other states. There is a difference in all the traditions like language, dress, food, lifestyle, customs etc.

In the modern era, cultural changes have started due to the spread of technology. It started with the arrival of the British. The culture which has been influencing more and more Indian culture has been the western. Western culture has influenced the lifestyle, food, taste and music of the youth. This era is the era of multimedia. Indian class is getting trapped in the virtual world of Mobile, WhatsApp, Twitter, Facebook, Internet, Doordarshan etc. As a result, the culture of the country is being recognized by these two names, India and Bharat. The modern era is also called the modern era. In this modern era, India is losing its identity. At this time there is a lack of culture in the young generation of the country. Rajesh Kumar has exposed this reality through his street play 'Culture urf Chad Gaya Upar Re'.

"Judge :         Filmonia has happened to today's young generation. While sleeping, eating and

                       drinking  Every time he writes and reads, he feels sex-only-sex.

Minister:         Hey, if they are under their control, they should eat sex, drink sex only!

Judge:            Where our ideals Chandrashekhar Azad, Bhagat Singh, Subhash Chandra Bose  

used to be Were.......

Minister:         Mahatma Gandhi used to be......

Judge             His idols are Michael Jackson, Madonna...

Minister:         Harshad Mehta, Govinda......

Judge:            Don't know what will happen to the future of the country 1

There has been no true role model before the Indian youth. Heroes of films have become their idols. Patriots like Swami Vivekananda, Mahatma Gandhi, Subhash Chandra Bose, Bhagat Singh, etc. have not been his ideals. His idols are Salman Khan, Shahrukh Khan, Michael Jackson etc.Hindi street playwright Shail Kumari has expressed the attitude of the students studying in schools and colleges.

"Student 1:    Oh r you dance very well. salman and shahrukh Khan should also blush in front of

you.

Student 2:      Hey Salman, leaving Shahrukh, his team beat Michael Jackson can. Since when have I been saying that we should start preparing to go to Bollywood?  It should be done but it should not be done simultaneously (pointing to student no. 3) gives."2

            Students do not discuss their future in school, college, but their discussion is related to films. There is always a debate about what the actors of the films did, what is happening etc. At the time when the youth should put their energy in good work, there they use their energy in wrong work. Due to this the youth are not able to decide the definite purpose of their life. They do not have any contribution or dedication for the country. He has always been attracted by the glare of the film world. 'Janam' has presented the condition of youth through street play through song. He is like this-

"There was a person in his neighbourhood.

Always do "Laila Laila"

dance like hrithik

once full five

salman like his dole

hair care

To impress Laila

Rose Account Minto-Fresh

and sings "Hey Hey Hey"3

That is, apart from becoming Laila-Majnu, there has been no ideal in front of the youth. Looking beautiful like the actors of the film and dancing like them attracts the youth. Schools dedicate college life to love more than study. Making new friends, having breakfast in the canteen, hanging out, watching new movies is what happens most of the time. When these friends come after watching a movie, they narrate the story to each other with great fervor. like,

"Gabdu:                     Oh where are you coming from Sanju-Tony, man!

Tony:                          Today we have come to see a very good picture.

All:                              Which picture have you seen?

Sanju:                         Tears dangling with a dagger.

Gabdu:                       Story heard man!”4

The future of the country depends on the youth of today. But the country whose students spend their valuable time in secondary work, then the future of that country will definitely be bleak. Without paying attention to education, how is it possible to work in the interest of the country. Today there is competition in the society regarding employment. Despite a lot of hard work, one does not get employment. So Indian youth today need to be alert. Doing some good work yourself should inspire others. This is not happening, because it is starting from the family itself. There is a conflict between the elder brother and the younger brother over the television program. More importance is being given to entertainment programs. Only the elder brother is not able to maintain his ideal life, so how can the younger brother also lead an ideal life. Because the big imitates the small. like,

"Boy-3            : Lay out the star brother, it's time for Santa Barbara.

Boy-2              : No, sir. TV.. I want to see the songs unknowingly!

Boy-1              : (Scolding) Monty, change the channel or else he will kill you.

Boy-2              : Will watch Michael Jackson's program later, sing me now have to listen

Boy 3              : My Santa Barbara's continuity will be broken. Put a star

Boy-2              : Won't do it!''5

 Not every family has a different picture than this. Talking further, even the elder members of the family have fights over television programs. Entertainment is needed after hard work that entertainment is the need of life. Many young people have made a mistake in understanding the reality of entertainment and life. As a result, the reality comes to the fore regarding the youth in the society that they also molest the daughter of the Culture Minister. That is, the people responsible for the treachery spreading in the society are in whose hands they have been given to run the country. Like the culture minister does not do his work honestly. If he gives certificates to obscene songs and films for money, then he also has to suffer the evils related to it. That is why later only the minister is seen cursing the youth. like,

Minister          : "Salon, gutter ke worms.... don't break my heart..... Haramis, we have these songs.That's why we didn't pass it to clear our throats after seeing our own Laundiya. The bastard teases my maid. teases the maid of the culture minister."6

That is, all the circumstances that are responsible for this behavior of the youth, which arise in the country and work to mislead the youth. It is the fault of the youth as much as the activities going on in the society.

In conclusion, it can be said that the Hindi street playwrights have exposed the real situations, which are taking the youth away from the culture. Science has made life easier for people, but questions are being raised about the rituals that use the ingredients of scientific inventions. Science cannot make sanskars. It is the responsibility of the society to create ideals, values, values ​​in the youth. It can be started from every home-family, school-college through sanskars.

Conclusion:

1.  Ancient Indian culture is declining due to the imitation of western culture.

2. Youth are more responsible for cultural decline as youth are most influenced and attracted by

     modern lifestyle.

3. Mobile, Internet, Doordarshan etc. Technology has made people's life easier. But its ill-effects

    have also affected the lives of the people. In which the loss of human values ​​is becoming

    more and more.

4. Responsible for cultural decline are those in whose hands the responsibility of protection has   

    been entrusted by the government. For example, the censor board does not do its work with    

    authenticity, as a result, obscenity spreads in the society through films, songs.

5. Producers, ministers and judges sitting on the censor board also give recognition certificates

     to many obscene films and songs for financial selfishness.

6. In front of today's young generation, only the actors of films have remained ideal. Many youths

    do not even have information about their patriotic people.

7. The youth are not getting proper sanskars in the family itself. Only the elders of the house are

    lost in the world of television. Therefore, there is a lack of values ​​in the modern young

    generation. In the absence of values, values ​​of life are being disintegrated.

 

Reference list :

1. Rajesh Kumar, Bharastachar Ka Achar p. 38

2. Shail Kumari, Kucha Nukkad Natak Aur Akananki , p. 21

3. Janam, Sarkash Afsane Janam ke chuninda Nukkad Natak, p. 307

4. Same p. 156

5. Rajesh Kumar, Bharastachar ka Achar, p. 33

6. Same p. 33


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गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

 Hindi nukkad natako me yatharthabodh

लेखक
Jagdish Rajaramshing Pardeshi
प्रकाशक
Pune
विवरण
The Shodhganga@ INFLIBNET Centre provides a platform for research students to deposit their Ph. D. theses and make it available to the entire scholarly community in open access. Shodhganga Mirror Site
विद्वान लेख

शनिवार, 6 अप्रैल 2019

मेरी हृदयभाषा

मेरी हृदयभाषा

भारत भूमि की वह मातृभाषा कहलाई।
कोयल की मधुर गान जैसी उसकी मधुराई।
पावन देवलोक समान जैसी उसकी धरती लहराई।
सूरज की रोशनी जैसी हर दिशा में वह फैलाई।
माता सरस्वती के रुप रंग जैसी वह दिखलाई।
तारों में चमके चाॅंद जैसी दुनिया में वह चमचमाई।
संकट की काली छाया में दिपक जैसी पथ  दर्शक  कहलाई।
रसों में अम्ररस जैसी वह रसीली बतलाई।
सत्य, शिव, सुन्दरम् अमृतवाणी बरसाई।
रत्नों में रत्नजडीत जैसी सिरमुकूट सजाई।
भाषाओं में हृदयभाषा सिर्फ मरी हिंदी कहलाई।



My heart language

It was called the mother tongue of India.

Its sweetness was like the sweet song of the cuckoo.

Its land waved like a holy heaven.

It spread in every direction like the sunlight.

It looked like the form and color of Mother Saraswati.

It shone in the world like the moon shining among the stars.

It was called a guide like a lamp in the dark shadow of crisis.

It spoke juicy like the nectar of nectar among the nectars.

It showered the nectar of truth, Shiva, Sundaram.

It adorned the head like a jewel studded crown among the gems.

Among the languages, the heart language was only called dead Hindi.