मेरी हृदयभाषा
भारत भूमि की वह मातृभाषा कहलाई।
कोयल की मधुर गान जैसी उसकी मधुराई।
पावन देवलोक समान जैसी उसकी धरती लहराई।
सूरज की रोशनी जैसी हर दिशा में वह फैलाई।
माता सरस्वती के रुप रंग जैसी वह दिखलाई।
तारों में चमके चाॅंद जैसी दुनिया में वह चमचमाई।
संकट की काली छाया में दिपक जैसी पथ दर्शक कहलाई।
रसों में अम्ररस जैसी वह रसीली बतलाई।
सत्य, शिव, सुन्दरम् अमृतवाणी बरसाई।
रत्नों में रत्नजडीत जैसी सिरमुकूट सजाई।
भाषाओं में हृदयभाषा सिर्फ मरी हिंदी कहलाई।
भारत भूमि की वह मातृभाषा कहलाई।
कोयल की मधुर गान जैसी उसकी मधुराई।
पावन देवलोक समान जैसी उसकी धरती लहराई।
सूरज की रोशनी जैसी हर दिशा में वह फैलाई।
माता सरस्वती के रुप रंग जैसी वह दिखलाई।
तारों में चमके चाॅंद जैसी दुनिया में वह चमचमाई।
संकट की काली छाया में दिपक जैसी पथ दर्शक कहलाई।
रसों में अम्ररस जैसी वह रसीली बतलाई।
सत्य, शिव, सुन्दरम् अमृतवाणी बरसाई।
रत्नों में रत्नजडीत जैसी सिरमुकूट सजाई।
भाषाओं में हृदयभाषा सिर्फ मरी हिंदी कहलाई।
My heart language
It was called the mother tongue of India.
Its sweetness was like the sweet song of the cuckoo.
Its land waved like a holy heaven.
It spread in every direction like the sunlight.
It looked like the form and color of Mother Saraswati.
It shone in the world like the moon shining among the stars.
It was called a guide like a lamp in the dark shadow of crisis.
It spoke juicy like the nectar of nectar among the nectars.
It showered the nectar of truth, Shiva, Sundaram.
It adorned the head like a jewel studded crown among the gems.
Among the languages, the heart language was only called dead Hindi.
👌👌👌
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